Saturday, June 13, 2009

सीता जी की मथानी

बहुत पुरानी कहावत प्रचलित है जब भगवान श्री राम को 14 वर्ष का बनवास हुआ था तब भगवान श्री राम ने अपना समय नीमसार में व्‍यतीत किया था वहा पर इस मथानी का प्रयोग माता सीता करती थी साथ ही कहावत है कि जो व्‍यक्ति अभिमान से वशीभूत होकर कहता है कि मै इस मथानी को उठा लूगा वह व्‍यक्ति कदापि मथानी को हिला भी नही सकता है परन्‍तु जो व्‍यक्ति श्रद्वा भाव से मथानी को उठाने से पूर्व मथानी के चरण छू कर भक्ति भाव से उठाता है तो वह इसे बच्‍चे के खिलौनो की तरह उठा सकता हैा यह प्रयोग मैने स्‍वयं देखा है मेरे कई मित्र् नैमिश दर्शन पर गये थे तो मैने रास्‍ते में यह बात बताई कई लोगो ने अभिमान से कहा कि हुह इसको उठाने में क्‍या है परन्‍तु वे लोग उसे उठाने की दूर हिला न सके साथ ही में मेरा एक मित्र् यह देख रहा था जब उससे उठाने को कहा गया तो वह बोला जब सब मोटे मोटे लोग उठा चुके है और हिला भी नही पाये तो मै भला कैसे इस पवित्र् मथानी को हिला सकूगां पर कहा गया कि जब यहां तक आये हो प्रयास कर के देखो सबके कहने पर मित्र् ने मथानी के पैर छूकर मन ही मन प्रभू श्रीराम का स्‍मरण कर मथानी को उठाने का प्रयास किया आश्‍चर्य मथानी फूल की तरह हवा में उठ गयीा


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भारतवर्ष के पुरातन तीर्थ स्‍थल